प्लासी की लड़ाई (1757) ,Palasi ki ladai, Battle of Plassey (1757)
प्लासी की लड़ाई (1757) भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और फ्रांसीसी सैनिकों द्वारा सहयोग प्राप्त बंगाल के नवाब (सिराज-उद-दौला)के बीच युद्ध हुआ था।
पलासी पश्चिम बंगाल के नादिया जिले का एक शहर है। यहां 1757 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और अंग्रेजों के बीच भीषण युद्ध हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई थी. इस विजय से अंग्रेजों के पैर भारत में जम गये।
सिराज-उद-दौला बंगाल का अंतिम स्वतंत्र नवाब था, जो अपने दादा अलीवर्दी खान के बाद सिंहासन पर बैठा।
प्लासी की लड़ाई का मुख्य कारण भारत में व्यापारिक हुकुमत के लिए ब्रिटिश और फ्रांसीसी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा थी। प्लासी की लड़ाई (1757) का मुख्य युद्धक्षेत्र भारत के बंगाल में प्लासी नामक स्थान में था।
प्लासी का युद्ध 1757 में बंगाल राज्य में हुआ था। यह लड़ाई कोलकाता (कलकत्ता) के पास प्लासी नामक स्थान पर हुई जो अब पश्चिम बंगाल राज्य का हिस्सा है। इस युद्ध में ब्रिटिश कंपनी के सैन्य नेता जनरल रॉबर्ट क्लाइव ने ब्रिटिश सेना के साथ मिलकर बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेना को हरा दिया। इससे ब्रिटिश कंपनी को बंगाल में सत्ता पर नियंत्रण मिल गया और यह लड़ाई भारत में ब्रिटिश कंपनी के शासन को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।
प्लासी की लड़ाई 23 जून 1757 को भारत के बंगाल में प्लासी नामक स्थान पर लड़ा गया था। प्लासी की लड़ाई (1757) में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव ने किया था।
प्लासी की लड़ाई (1757) रॉबर्ट क्लाइव की अध्यक्षता वाली ईस्ट इंडिया कंपनी और फ्रांसीसी सैनिकों द्वारा सहयोग प्राप्त बंगाल के नवाब (सिराज-उद-दौला) के बीच लड़ी गई थी।
मुख्य युद्ध स्थल प्लासी की लड़ाई (1757) में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अध्यक्ष रॉबर्ट क्लाइव ने ब्रिटिश सेना के साथ मिलकर फ्रांसीसी सेना द्वारा सहायता प्राप्त बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला की सेना को परास्त किया।
फ्रांसीसी सैनिकों द्वारा सहयोग प्राप्त बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला की सेना के पास 50000 सैनिक थे, और रॉबर्ट क्लाइव की अध्यक्षता वाली ईस्ट इंडिया कंपनी के पास लगभग 3000 सैनिकों थे,जो बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला की सेना की संख्या से बहुत कम थे
सिराज-उद-दौला की 50,000 सैनिकों, 40 तोपों और 10 युद्ध हाथियों की सेना को रॉबर्ट क्लाइव के 3,000 सैनिकों ने हरा दिया।
मीर जाफर, बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला की सेना का सैन्य प्रमुख था। उसके विश्वासघात के कारण, बंगाली सेना का एक तिहाई प्लासी के युद्ध में सम्मिलित नहीं हुआ, जिसने नवाब की पराजय में योगदान दिया।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के प्रधान सेनापति (कमांडर-इन-चीफ) रॉबर्ट क्लाइव ने नवाब के विरुद्ध लड़ाई में अंग्रेजों का समर्थन करने के लिए नवाब की सेना के कमांडर-इन-चीफ मीर जाफर को रिश्वत दी।
रॉबर्ट क्लाइव ने सिराज-उद-दौला पर अपनी विजय के पश्चात मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाने का भी वादा किया।
इस प्रकार, रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ,ब्रिटिश सेना की ताकत और सूझबूझ के कारण, प्लासी के युद्ध में फ्रांसीसी सेना हार गई, जिससे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में फ्रांसीसी कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा में अग्रणी स्थान मिल गया।
प्लासी के युद्ध में विजय के पश्चात, मीर जाफर को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बंगाल के नवाब के रूप में ताज पहनाया गया।
प्लासी की लड़ाई (1757) से पहले फ्रांसीसी और ब्रिटिश कंपनियों के बीच भारत में कई लड़ाइयां हो रही थीं, लेकिन प्लासी की लड़ाई (1757) के बाद भारत में फ्रांसीसी और ब्रिटिश कंपनियों के बीच पहले से चली आ रही सारी लड़ाई बंद हो गई
प्लासी की लड़ाई (1757) के बाद फ्रांसीसी कंपनी ने अपना व्यापार भारत से समाप्त कर दिया और उसके बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में व्यापार और शासन का दायित्व संभाल लिया। इससे भारतीय इतिहास में एक नया युग प्रारंभ हुआ और ब्रिटिश शासन ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था पर अपना अधिकार जमाया।
प्लासी की लड़ाई (1757) को अक्सर 'निर्णायक घटना' कहा जाता है
क्योंकि प्लासी की लड़ाई (1757) ने अंग्रेजों के लिए भारत में शासन का द्वार खोल दिया था
प्लासी की लड़ाई (1757) मुगल सम्राट आलमगीर-द्वितीय के शासनकाल के दौरान हुई।
नीचे प्लासी की लड़ाई (1757) से संबंधित प्रश्नों के उत्तर और उनकी व्याख्या दी जा रही है।
Question. प्लासी की लड़ाई कब हुई थी और यह किस राज्य में हुई थी?
a) 1757, उत्तर प्रदेश
b) 1757, बिहार
c) 1757, बंगाल
d) 1757, मध्य प्रदेश
Answer Option (c) 1757, बंगाल
व्याख्या - प्लासी का युद्ध 1757 में बंगाल राज्य में हुआ था। यह लड़ाई कोलकाता (कलकत्ता) के पास प्लासी नामक स्थान पर हुई जो अब पश्चिम बंगाल राज्य का हिस्सा है। इस युद्ध में ब्रिटिश कंपनी के सैन्य नेता जनरल रॉबर्ट क्लाइव ने ब्रिटिश सेना के साथ मिलकर बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेना को हरा दिया। इससे ब्रिटिश कंपनी को बंगाल में सत्ता पर नियंत्रण मिल गया और यह लड़ाई भारत में ब्रिटिश कंपनी के शासन को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।
Question. प्लासी की लड़ाई में ब्रिटिश सेनानायक कौन थे
a) रॉबर्ट क्लाइव,
b) शाह आलम,
c) औरंगजेब,
d) विलियम देसिल्य,
Answer Option (a) रॉबर्ट क्लाइव,
व्याख्या: प्लासी की लड़ाई 23 जून 1757 को भारत के बंगाल में प्लासी नामक स्थान पर लड़ा गया था। प्लासी की लड़ाई (1757) में ब्रिटिश सेनानायक रॉबर्ट क्लाइव था।
Question. प्लासी की लड़ाई (1757) में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व किसने किया?
[A] राबर्ट क्लाइव ने
[B] हेक्टर मुनरो ने
[C] वारेन हेस्टिग्स ने
[D] इनमें से कोई नहीं
Answer Option [A] राबर्ट क्लाइव ने
व्याख्या: प्लासी की लड़ाई 23 जून 1757 को भारत के बंगाल में प्लासी नामक स्थान पर लड़ा गया था। प्लासी की लड़ाई (1757) में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव ने किया था।
Question. प्लासी की लड़ाई किस साल हुई थी?
a) 1755
b) 1756
c) 1757
d) 1758
उत्तर: c) 1757
व्याख्या: प्लासी की लड़ाई 23 जून 1757 को भारत के बंगाल राज्य में हुई थी।
Question. प्लासी की लड़ाई कहां लड़ी गई थी?
a) बंगाल
b) मध्य प्रदेश
c) बिहार
d) उत्तर प्रदेश
उत्तर: a) बंगाल
व्याख्या: प्लासी का युद्ध 1757 में बंगाल राज्य में हुआ था। यह लड़ाई कोलकाता (कलकत्ता) के पास प्लासी नामक स्थान पर हुई जो अब पश्चिम बंगाल राज्य का हिस्सा है। इस युद्ध में ब्रिटिश कंपनी के सैन्य नेता जनरल रॉबर्ट क्लाइव ने ब्रिटिश सेना के साथ मिलकर बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेना को हरा दिया। इससे ब्रिटिश कंपनी को बंगाल में सत्ता पर नियंत्रण मिल गया और यह लड़ाई भारत में ब्रिटिश कंपनी के शासन को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।
Question. प्लासी की लड़ाई किस द्विपक्षीय युद्ध का हिस्सा थी?
a) पंजाब की सत्ता के लिए
b) बंगाल की सत्ता के लिए
c) हैदराबाद की सत्ता के लिए
d) आवाध की सत्ता के लिए
उत्तर: b) बंगाल की सत्ता के लिए
व्याख्या: प्लासी की लड़ाई एक द्विपक्षीय युद्ध था, जिसमें बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य नेता रॉबर्ट क्लाइव शामिल थे।
Question. प्लासी के युद्ध में कौनसे दोनों पक्षों के नेता थे?
a) भारतीय सेनापति दुर्गा राम और ब्रिटिश जनरल रॉबर्ट क्लाइव
b) भारतीय नवाब सिराज-उद-दौला और ब्रिटिश जनरल हेस्टिंग्स
c) भारतीय राजा शह़ज़ादा अहमद शाह दुर्रानी और ब्रिटिश जनरल सारफ़राज़ ख़ान
d) भारतीय महाराजा शिवाजी और ब्रिटिश जनरल विलियम बार्व
उत्तर: b) भारतीय नवाब सिराज-उद-दौला और ब्रिटिश जनरल हेस्टिंग्स
व्याख्या: प्लासी की लड़ाई में भारतीय नवाब सिराज-उद-दौला और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य नेता रॉबर्ट क्लाइव थे। यह लड़ाई ब्रिटिश कंपनी के नियंत्रण में अधिक सत्ता प्राप्त करने के लिए हुई थी।
Question. प्लासी की लड़ाई का परिणाम क्या रहा?
a) भारतीय विजयी हुए
b) ब्रिटिश विजयी हुए
c) युद्ध बेनतीजा रहा
d) कोई भी विजयी नहीं हुआ
उत्तर: b) ब्रिटिश विजयी हुए
व्याख्या: प्लासी की लड़ाई में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी विजयी हुई और नवाब सिराज-उद-दौला की सेना हार गई।
Question. प्लासी की लड़ाई में ब्रिटिश कंपनी के सैन्य नेता कौन थे?
a) जनरल रॉबर्ट क्लाइव
b) जनरल हेस्टिंग्स
c) जनरल विलियम बार्व
d) जनरल सारफ़राज़ ख़ान
उत्तर: a) जनरल रॉबर्ट क्लाइव
व्याख्या: प्लासी की लड़ाई में ब्रिटिश कंपनी के सैन्य नेता जनरल रॉबर्ट क्लाइव थे।
Question. प्लासी की लड़ाई का परिणाम क्या था?
a) मुगलों की जीत
b) ब्रिटिश कंपनी की जीत
c) समझौता हुआ
d) कोई नतीजा नहीं हुआ
उत्तर: b) ब्रिटिश कंपनी की जीत
व्याख्या: प्लासी की लड़ाई में ब्रिटिश कंपनी की जीत हुई। इस युद्ध में नवाब सिराज-उद-दौला की हार हो गई और ब्रिटिश कंपनी को बंगाल की सत्ता मिल गई।
Question. प्लासी की लड़ाई किस दिन हुई थी?
a) 23 जून 1757
b) 14 अगस्त 1757
c) 5 सितंबर 1757
d) 18 नवंबर 1757
उत्तर: a) 23 जून 1757
व्याख्या: प्लासी की लड़ाई 23 जून 1757 को हुई थी।
Question- प्लासी की लड़ाई का युद्ध स्थल कहां पर था?
a) बंगाल
b) उत्तर प्रदेश
c) बिहार
d) ओडिशा
उत्तर: Option (a) बंगाल
व्याख्या: प्लासी का युद्ध 1757 में बंगाल राज्य में हुआ था। यह लड़ाई कोलकाता (कलकत्ता) के पास प्लासी नामक स्थान पर हुई जो अब पश्चिम बंगाल राज्य का हिस्सा है। इस युद्ध में ब्रिटिश कंपनी के सैन्य नेता जनरल रॉबर्ट क्लाइव ने ब्रिटिश सेना के साथ मिलकर बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेना को हरा दिया। इससे ब्रिटिश कंपनी को बंगाल में सत्ता पर नियंत्रण मिल गया और यह लड़ाई भारत में ब्रिटिश कंपनी के शासन को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।
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